Thursday, August 15, 2013

हाँ ,पर आजाद है कुछ लोग जिन पर हमें गर्व है ---

आज हम शायद ६७ वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे है , शायद शब्द का उपयोग इस लिए कि  आज सुबह पटना में मेरी पत्नी के आँखों के सामने एक साईकिल सवार युवा को मोटर सायकिल सवार युवको ने धक्का  मारा और भाग गए। भागते  हुये युवाओ की टोली जो की  मॉल की ओर से बाजार के द्वारा परिभाषित आजादी के उन्माद के साथ  आरही थी ( जिसे  देशज भाषा में लहेरिया कट बाईक कहते है) , उसने आजादी के नशे में एक   युवक को धक्का मारा जो सायकिल से अपने बच्चो के लिए जलेबियाँ  ले कर जा रहा था।

सभी युवक  मोटर सायकिल पर थे वो देश की आजादी के बाद पनपे नव धनाड्य वर्ग के आजाद पुत्र  जो अपने पिता के द्वारा कमाए नाजायज धन के जय घोष के साथ यह साबित करते हुए कहना चाह रहे थे कि , मुर्ख आज हम आजाद हुए है तुम्हे रोड पर चलने का हक़ नहीं है इसके लिए तुम्हे हमारी तरह बनना होगा क्योकि हमारा चेहरा नव सामंतवादी चेहरा है धन, ज्ञान , जीवन  हमारा है.

सबसे अचंभित तो तब हुए  जब पुलिस की गाड़ी और एक मंत्री जी उधर से गुजरी पर उन्होंने भी उन युवाओ की तरह उस सायकिल सवार को सड़क पर तड़पता हुआ छोड़ दिया.

हाँ ,पर आजाद है कुछ लोग जिन पर  हमें गर्व है ---
 जिन्होंने सडक पर खोमचे लगाये है , घरो में काम करने वाले राहगीर उनसभी लोगो की मदद से युवक को अस्पताल पहुचाया गया , उसके पिता को फोन किया गया.………

शेष रहगयी जलेबियाँ  , बच्चो का इंतजार , आजादी के दिन को तिंरंगे के तीनो रंगों से मनाने की लालशा, सडक पर  फैला लाल रंग.

मेरा सवाल है क्यों हम बट गए है तीन रंगों में क्यों नहीं चुनते है एक  रंग जिसमे कमसे कम मानवता है।

 स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाये उनको ,जिन्होंने सायकिल सवार युवा को अस्पताल तक पहुचाया





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